शाहाबाद नगरपालिका में भ्रष्टाचार: 1995 से अब तक का काला सच

♥शाहाबाद नगरपालिका में भ्रष्टाचार: 1995 से अब तक का काला सच

 

शाहाबाद (हरदोई)। शाहाबाद नगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार इन दिनों शहर की सबसे बड़ी चिंता बन गया है। नगर की जनता, समाजसेवी और कर्मचारी लगातार आरोप लगा रहे हैं कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है और इससे न केवल विकास कार्यों में बाधा आ रही है, बल्कि जनता की बुनियादी सुविधाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

 

जांच का आदेश और खुलासे

हाल ही में लोकायुक्त द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम ने शाहाबाद नगरपालिका में 1995 से अब तक हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू की है। टीम ने नाले और सीवर लाइन के भौतिक सत्यापन के साथ-साथ नगर पालिका के कई रिकॉर्ड्स की भी गहन जांच की। इस जांच के दौरान कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें साफ-सफाई, सीवर लाइन, जल निकासी, सड़क मरम्मत और अन्य विकास कार्यों में भारी घोटाले के आरोप लगे हैं।

 

नाले-सफाई और फर्जीवाड़ा

बरसात के मौसम में नालों की सफाई के नाम पर लाखों रुपये के घोटाले का आरोप सामने आया है। जिलाधिकारी के आदेशों की खुलेआम अनदेखी करते हुए नगरपालिका अधिकारियों ने कागजों पर ही सफाई दिखा दी, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग थी। कई जगहों पर नालों की सफाई के नाम पर बिल पास कर दिए गए, लेकिन नालों की हालत जस की तस रही। इससे शहर में जलभराव और गंदगी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

 

धार्मिक स्थलों पर भी भ्रष्टाचार

शहर के प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल नर्मदा तालाब में जलकुंभी की सफाई के नाम पर भी भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। नगरपालिका द्वारा सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च दिखाए गए, लेकिन वास्तव में न तो सफाई हुई और न ही श्रद्धालुओं को कोई राहत मिली। इससे धार्मिक भावनाएं भी आहत हुई हैं और लोगों में आक्रोश है।

 

झूठी रिपोर्टिंग और प्रशासनिक लापरवाही

लोकायुक्त की जांच में यह भी सामने आया कि नगरपालिका द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर झूठी रिपोर्ट लगाई जाती है, जिससे उच्चाधिकारियों को गुमराह किया जाता है और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश होती है। कई बार समाजसेवियों और स्थानीय नागरिकों ने SDM कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

 

दोषियों पर कार्रवाई और जांच की मांग

आम जनता समाजसेवियों ने मांग की है कि जांच को सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

 

निष्कर्ष

शाहाबाद नगरपालिका में भ्रष्टाचार की जड़ें बेहद गहरी हैं। 1995 से अब तक के घोटालों की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। लोकायुक्त की जांच जारी है और जनता को उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और शाहाबाद नगर पालिका की छवि सुधरेगी। जनता, समाजसेवी और कर्मचारी सभी एक स्वर में निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि नगर का विकास ईमानदारी से हो सके और जनता को उसका हक मिल सके।


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